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Hite Sudha

800.00

Height Sudha is a 100% natural supliment that is used to gain height. It helps in growth and development of the body. It stimulates the human growth harmone, which is turn increasing height.

Description

हाइट सुधा एक परिचय
इंसान का कद उसके जीवन के लिए काफी महत्त्व रखती है छोटा कद होने के कारन किसी भी इंसान के जीवन में बहुत सारे परेशानी और बाधाएं बनी रहती है सबसे
पहला समस्या: जॉब करियर के लिए होता है, ग्वर्मेंटस जॉब में हीं  बहुत सारे ऐसे जॉब है जो की छोटा कद होने की वजह से उसमे जगह नहीं मिल पाती है चाहे वो व्यक्ति कितना भी पढ़ा लिखा या प्रतिभावान क्यों ना हो जैसे डिफेन्स, पुलिस फाॅर्स इसके साथ स्पोर्ट्स में भी में भी कम हीं चांस मिल पाती है , प्राइवेट जॉब में भी लुक और पर्सनालिटी काफी महत्त्व रखती है,
दूसरी समस्या : शादी विवाह में रुकावट बन जाती है |
तीसरी समस्या :  लुक और पर्सनालिटी में आ जाती, हमारे जीवन में लुक और पर्सनालिटी काफी मायने रखती इसकी अहमियत हर जगह बढ़ जाती है, घर, समाज, ऑफिस, पब्लिक प्लेस,  इस प्रकार से छोटा कद वाले लड़के-लड़कियां  के बहुत सारे सपने भी अधूरे रह जाती है पूरा जीवन पछतावा रहता है | आस पास के लोग अक्सर  मज़ाक बनाते रहते है |

कद छोटा रह जाने के कारन
किसी भी व्यक्ति का कद(लम्बाई) छोटा होने का कुछ करण होते |

1) अनुवांशिक: 80% मामले में जिन बच्चो की माता-पिता या दादा-दादी, नाना-नानी की जो कद होती है,  वहीँ कद उनके बच्चो की भी होती जाती है |
2) किसी भी इंसान का कद छोटा होने का दूसरी सबसे बड़ी कारन होता है ह.HGH (Human Growth   Hormones ) की कमी, हम इंसानो के मस्तिष्क में पिट्यूटरी  नामक ग्लैंड  पाई जाती है जिसे मास्टर ग्रंथि भी कहा जता है वो हमरे शरीर के ग्रोथ के लिए एक हॉर्मोन्स बनता है इसी हॉर्मोन्स की कमी की वजह बहुत सारे लोगो का कद छोटा रह जाता है |
3) कद छोटा होने का तीसरी सबसे बड़ी कारन होता है आहार की कमी खास कर कैल्शियम की कमी जिस उम्र के पड़ाव में लड़के लड़कियों की शरीर की लम्बाई तेज़ी बढ़ता है उस समय अवधि में यदि उसका आहार में कमी हो जाती है खास कर आहार में यदि कैल्शियम की कमी रहती, है जैसे- दूध, दही, अंडे, पनीर, बादाम/मेवे दाल ये सभी चीज़े यदि उस समय अवधि में नहीं मिल पाता है, तो ये भी एक बड़ा कारन बन जाती है लम्बाई कम होने का |

प्राकृतिक तरीके से कद लम्बा कैसे कर सकते है

जैसा की हम सभी जानते है कि आज हम इंसानो ने विज्ञानं में बहुत आगे बढ़ गया है, ब्रह्माण्ड में दूसरे ग्रह पर  पहुँच गए, है, इसी के साथ मेडिकल साइंस में भी ऐसे ऐसे खोज और रिसर्च हो चुके है की के सामने देखने के बाद भी खुद के आँखों पर विश्वाश नहीं होता है जैसे पुरुष के शरीर में  बच्चे पैदा करवाना, शीशे में बच्चे पैदा करवाना, अगर आधुनिक चिकित्सा में इतनी शक्ति है तो हमारा प्राचीन प्रकृति चिकित्सा भी काम नहीं है | अगर सही दिशा निर्देश में इसका पालन करते है तो हर स्वस्थ्य और शौन्दर्य से सम्बंधित समस्या का समाधान है इसमें,  इसी क्रम में मानव हर्बल्स के आयुर्वेदाचार्यो ने खोज और रिसर्च के बाद हाइट सुधा का निर्माण किया है जो उपर्युक्त समस्या के कारन अगर किसी की हाइट छोटा रह गया है तो हाइट बढ़ाने में ये हाइट सुधा काफी मदद करता है |

हाइट सुधा को बनाने में उपयोग किये गई जड़ी बूटियां

हाइट सुधा पैकेज में 1
120 gm. पाउडर और 30 कैल्शियम की  टेबलेट्स होती है

पाउडर निम्न जड़ी बूटियों से तैयार की जाती है

पिप्पली   

पीपली को पीपलामूल के नाम से भी जाना जाता है। ये अस्थमा की बीमारी के लिए रामबाण इलाज है। रोजाना इसके चूर्ण के सेवन से सांस लेने में होने वाली परेशानी दूर होती है। … पीपली के चूर्ण के सेवन से पाचन तंत्र में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया खत्म होते हैं।

पिप्पली के फायदे: और इनडायजेशन से आराम दिलाती है पिपली. ब्रोंकाइटिस से लेकर अस्थमा और खांसी से लेकर गले की खराश तक, पिपली कई फेफड़ों की समस्याओं के इलाज में बहुत प्रभावी है. इसकी एंटीऑक्सिडेंट क्षमता विभिन्न सांस संबंधी समस्याओं का इलाज करती है. पेट से जुड़ी बड़ी समस्याओं जैसे कॉन्स्टिपेशन

चावक  

चरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्लेख है तथा सोना, चाँदी, लोहा, पारा आदि धातुओं के भस्म एवं उनके उपयोग का वर्णन मिलता है।

चावक के फायदे: 1 प्रतिदिन के भोजन में शामिल चावल, शरीर में कॉम्प्लेक्स, कार्बोहाइड्रेट और विटामिन- बी की आपूर्ति करता है। चावल को मांड के साथ खाना ज्यादा फायदेमंद होता है । 2 निश्चित तौर से चावल आसानी से पच जाता है, इसलिए डायरिया और अपच होने पर चावल का सेवन करने पेट को आराम मिलता है।

चित्रक   

साधारणतः चित्रक से सफेद चित्रक (plumbago zeylanica)ही ग्रहण किया जाता है। सफेद चित्रक वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को शान्त करता है। यह तीखा, कड़वा और पेट के लिए गरम होने के कारण कफ को शान्त करता है। भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, उल्टी को रोकता है, पेट के कीड़ों को खत्म करता है। यह खून तथा माता के दूध को शुद्ध करता है। यह सूजन को ठीक करता है।
यह टॉयफायड बुखार को समाप्त करता है। चित्रक की जड़ (plumbago zeylanica root) घावों और कुष्ठ रोग को ठीक करती है। यह पेचिश, प्लीहा यानी तिल्ली की वृद्धि, अपच, खुजली आदि विभिन्न चर्मरोगों, बुखार, मिर्गी, तंत्रिकाविकार यानी न्यूरोडीजिज और मोटापा आदि को भी समाप्त करता है। सफेद चित्रक गर्भाशय को बल प्रदान करता है, बैक्टीरिया और कवकों को नष्ट करता है, कैंसररोधी यानी एंटीकैंसर है, लीवर के घाव को ठीक करता है।

रंग-भेद से इसकी तीन जातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः
सफेद चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
लाल चित्रक (Plumbago indica Linn.)
नीला चित्रक (Plumbago auriculata Lam.)
यह एक सीधा और लंबे समय तक हरा-भरा रहने वाला पौधा (chitrak plant) होता है। इसका तना कठोर, फैला हुआ, गोलाकार, सीधा तथा रोमरहित होता है। इसके पत्ते लगभग 3.8-7.5 सेमी तक लम्बे एवं 2.2-3.8 सेमी तक चौड़े होते हैं। इसके फूल नीले-बैंगनी अथवा हल्के सफेद रंग के होते हैं।

चित्रक के फायदे: क्या आपको पता है कि चित्रक (chitrak plant) क्या है, और चित्रक के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं? नहीं ना! देखने में तो चित्रक का झाड़ीदार पौधा (chitrak ka podha) बहुत ही साधारण-सा लगता है, लेकिन सच यह है कि यह बहुत ही उपयोगी होता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि चित्रक से लाभ लेकर कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
पतंजलि के अनुसार, चित्रक के पौधे (plumbago zeylanica in hindi), पत्तियों और जड़ों का इस्तेमाल बीमारी के उपचार के लिए किया जाता है। हो सकता है कि आपने भी चित्रक के पौधे (chitrak plant) को अपने आसपास देखा हो, लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण इसका लाभ नहीं ले पा रहे हों। इस जानकारी के बाद आप चित्रक का पूरा लाभ (chitrak benefits) ले पाएंगे।

सूखी अदरक या सोंठ  क्या है?   

सूखी अदरक या सोंठ का इस्तेमाल कई तरह की घरेलू दवा बनाने या भोजन में अलग स्वाद के लिए किया जाता है। सोंठ का इस्तेमाल आप किन-किन समस्याओं में और किस तरह से कर सकते हैं, जानने के लिए जरूर पढ़ें, सोंठ के 11 स्वास्थ्यलाभ –
1 जोड़ों के दर्द में सूखी अदरक, जिसे हम सोंठ कहते हैं, काफी लाभदायक होती है। सोंठ, जायफल को पीसकर तिल के तिल के में डालकर, उसमें भीगी हुई पट्टी जोड़ों पर लगाने से आराम मिल सकता है। इसके अलावा उबले हुए पानी के साथ शहद और अदरक पाउडर को पीने से गठिया में लाभ होता है।

सोंठ इन चीजों में करता है फायदा : सोंठ उष्णवीर्य, कटु, तीक्ष्ण, अग्निदीपक, रुचिवर्द्धक पाचक, कब्जनिवारक तथा हृदय के लिए हितकारी है। वातविकार, उदरवात, संधिशूल (जोड़ों का दर्द), सूजन आदि रोगों में अत्यंत लाभदायक है। सोंठ के दैनिक प्रयोग किस तरह किए जा सकते हैं

  1. सोंठ, हींग और काला नमक मिलाकर लेने से गैस की समस्या में लाभ होता है। पिसी हुई सोंठ और कैरम के बीजों को नींबू के रस में भिगोकर छाया में सुखाकर प्रतिदिन सुबह लेने से गैस और पेडू के दर्द में आराम मिलता है।
  2. कांजी में सोंठ का चूर्ण डालकर पीने से आमवात (गठिया-जोड़ों का दर्द) में आराम मिलता है। सोंठ एवं हरड़ चूर्ण मधु में मिलाकर चाटना अथवा सोंठ एवं गोरख मुण्डी का कल्क अथवा तिल एवं सोंठ का कल्क खाना अथवा सोंठ, हरड़ एवं गिलोय का क्वाथ (काढ़ा) शुद्ध गूगल मिलाकर गरम-गरम पीना चाहिए। इससे कमर दर्द, कंधे का दर्द, घुटने का दर्द एवं पीठ दर्द दूर हो जाता है।
  3. भुनी हींग 10 ग्राम, चव्य 20 ग्राम, विडनमक 30 ग्राम, सोंठ 40 ग्राम, काला जीरा 50 ग्राम और पोहकर 60 ग्राम लेकर कपड़छान चूर्ण बनाकर रख लें। 2-3 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करें।
  4. इसके अलावा हींग, हरड़, पीपल, पीपलामूल, काली मिर्च, जीरा आदि ऐसे मसाले हैं आपके रसोईघर में, जो वातरोग, गठिया, जोड़ों का दर्द, जोड़ों की सूजन आदि की रामबाण औषधि है।
  5. हरड़, सोंठ तथा अजवायन समभाग लेकर चूर्ण बनाएं और तक्र, गरम जल अथवा कांजी के साथ सेवन करें। इसके सेवन से गठिया एवं जोड़ों की सूजन से मुक्ति मिलती है।
  6. लहसुन, सोंठ तथा संभालू का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया तथा आमवात का शमन होता है। यह गठिया रोग की उत्तम औषधि है।
  7. सोंठ, रास्ना, गिलोय, एरण्डमूल का क्वाथ बनाकर पीने से सर्वांगव्यापी आमवात तथा जोड़ों, अस्थियों एवं मांसपेशियों का दर्द दूर होता है।

हरड़ क्या है?  

हरड़, जिसे हरीतकी भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध जड़ी-बूटी है। यह त्रिफला में पाए जाने वाले तीन फलों में से एक है। भारत में इसका इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर खूब किया जाता है। आयुर्वेद में तो इसके कई चमत्कारिक फायदे बताए गए हैं।

हरड़ के फायदे: आयुर्वेद में तो इसके कई चमत्कारिक फायदे बताए गए हैं। दरअसल, इसे त्रिदोष नाशक औषधि माना जाता है। यह पित्त के संतुलन को तो बनाए रखता ही है, साथ ही यह कफ और वात संतुलन को भी बनाकर रखता है। कई बीमारियों में इसे बेहद ही फायदेमंद माना जाता है, जिसमें पाचन से जुड़ी समस्याएं भी शामिल हैं।

सेंधा नमक  क्या है?   

सेंधा नमक हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में काफी लाभदायक है. इसी के साथ यह कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है जिससे हार्ट अटैक का खतरा कम रहता है. सेंधा नमक स्ट्रेस कम को कम करता है. इसी के साथ यह सेरोटोनिन और मेलाटोनिन हार्मोन्स का बैलेंस बनाएं रखता है जो तनाव से लड़ने में मदद करते हैं.

सेंधा नमक  के फायदे: यह नमक पाचक रसों का निर्माण करता है, इसलिए यह पाचन को दुरुस्त रखने का काम भी करता है.

  1. ब्लडप्रेशर करे कंट्रोल सेंधा नमक हाई ब्लडप्रेशर को कंट्रोल करने में काफी लाभदायक है. …
  2. स्ट्रेस कम करने में सेंधा नमक स्ट्रेस कम को कम करता है. …
  3. बॉडी पेन को कम करने में …
  4. साइनस में दे राहत …
  5. अस्थमा को करे दूर

अमलवेत क्या है?   

यह एक हल्के हरे रंग की वर्षजीवी वनस्पति है। इसके पत्ते तीखी नोक वाले होते हैं। इसका वृक्ष मध्यम आकार का होता है। यह 2 जाति का होता है। एक को अमलवेत व दूसरे को बैंती कहते हैं। यह पेड़ मालियों के बगीचों में बहुत होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के और फल गोल खरबूजे के समान, कच्ची हालत में हरे और पकने पर पीले पड़ जाते हैं। यह चिकना होता है। इसके बीज ‘तुख्म हमाज’ के नाम से बाजार में बिकते हैं।

अमलतास के फायदे: आपने अमलतास के पेड़ को अनेक स्थानों पर देखा होगा। यह पेड़ प्रायः सड़कों के किनारे या बाग-बगीचे में दिखाई देते हैं। इसमें पीले-पीले फूल होते है। ये फूल देखने में बहुत ही मनमोहक होते हैं। इन फूलों को घरों में सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। अगर आप अमलतास पेड़ को पहचानते होंगे तो शायद इतनी ही जानकारी रखते होंगे। सच यह है कि अमलतास का पेड़ (amaltas ka ped) एक औषधी भी है और अमलतास के पेड़ से फायदे (Amaltas ke  fayde) होते हैं। क्या आपको पता है कि रोगों के उपचार में भी अमलतास से लाभ मिलता है।

अजमोद क्या है?  

अजमोद (पेट्रोसीलिनुम क्रिस्पम), एक चमकदार हरी द्विवार्षिक जड़ी बूटी है, जिसे अक्सर मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका प्रयोग मध्य पूर्वी, यूरोपीय और अमरीकी में खाना पकाने में आम है।

अजमोद के फायदे: आधुनिक रसोईघरों में जिन नई सब्जियों ने आज अपना स्थान बनाया है, उसमें अजमोदा (ajmoda plant) सबसे महत्त्वपूर्ण सब्जी है। अजमोदा को कई स्थानों पर सेलेरी या बोकचॉय के नाम से भी जाना जाता है। लंबे समय से तिब्बती और चीनी इलाकों में इसका प्रयोग सब्जी की भांति किया जाता रहा है। सब्जियों के अलावा अजमोदा का प्रयोग सूप और सलाद में अधिक किया जाता है, लेकिन आपको यह नहीं पता होगा कि इस अजमोदा का उपयोग करके आप अनेक बीमारियों से भी बच सकते हैं। आइये जानते हैं, अजमोदा के औषधीय गुणों और प्रयोग के बारे में ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसके प्रयोग से आप स्वास्थ्य लाभ ले सकें।
अजमोदा (Ajmoda Plant) का पौधा अजवायन (Ajmoda And Ajwain) के पौधे से मिलता-जुलता होता है, लेकिन इसका पौधा अजवायन के पौधे से थोड़ा बड़ा होता है और इसके दाने भी अजवायन से बड़े आकार के होते हैं। अजमोदा का प्रयोग करके एक आयुर्वेदिक औषधि भी बनाई जाती है, जिसमें वैसे तो ढेर सारी जड़ी-बूटियाँ मिली होती हैं। इसे ही अजमोदादि चूर्ण ही जाता है। लगभग सभी प्राचीन एवं आधुनिक आयुर्वेदीय ग्रन्थों में अजमोदा का वर्णन पाया जाता है। यूनानियों को अजमोदा का ज्ञान भारतीयों से ही हुआ था।

आमलकी क्या है?  

आमलकी संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली का निर्माण कर शरीर की रोगरोधकता को बढ़ावा देने में मदद करता है। आमलकी के सक्रिय घटकों में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं जो कोशिका को क्षतिग्रस्त करने वाले हानिकारक फ्री रैडिकल्स से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।

आमलकी के फायदे: आमलकी संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली का निर्माण कर शरीर की रोगरोधकता को बढ़ावा देने में मदद करता है। आमलकी के सक्रिय घटकों में एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव होते हैं जो कोशिका को क्षतिग्रस्त करने वाले हानिकारक फ्री रैडिकल्स से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।

बहेड़ा क्या है

अगर आप नहीं जानते हैं तो यह जान लीजिए कि बहेड़ा (Bibhitaki) का तेल बालों को काला करने के लिए उपयोगी माना जाता है। आग से जलने के कारण हुए घाव पर भी बहेड़ा का तेल लाभकारी है। बहेड़ा (terminalia bellerica) वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को दूर करता है, लेकिन इसका मुख्य प्रयोग कफ-प्रधान विकारों में होता है।

बहेड़ा के फायदे: बहेड़ा कीड़ों को मारने वाली औषधि है। बहेड़े के फल की मींगी मोतियाबिन्द को दूर करती है। इसकी छाल खून की कमी, पीलिया और सफेद कुष्ठ में लाभदायक है। इसके बीज कड़वे, नशा लाने वाले, अत्यधिक प्यास, उल्टी, तथा दमा रोग का नाश करने वाले हैं।

चन्द्रिका क्या है?  

आयुर्वेद के अनुसार, बेकार-सा दिखाई देने वाला चंद्रशूर (हलीम) का पौधा एक बहुत ही उत्तम औषधी है, और चंद्रशूर (हलीम) के फायदे से रोगों का इलाज किया जा सकता है।। … हिचकी की परेशानी, दस्त, शूल, चर्म रोग, आंखों की बीमारी में चंद्रशूर से लाभ मिलता है।चन्द्रिका के फायदे

हाइट सुधा सेवन/लेने की उम्र सिमा
लड़की :- 11 – 24 वर्ष,               लड़का :- 12 – 28 वर्ष

हाइट सुधा को कौनकौन नहीं ले सकता है
ऊपर बातये गए ऐज ग्रुप के लोगों के अलावा कोई भी लड़का या लड़की को इसको लेने की सलाह नहीं दी जाती है | इसके साथ ही उपर्युक्त ऐज ग्रुप वाले भी जो महिला  प्रेग्नेंट है या बच्चे को दूध पिलाती हैं, कोई लड़का या लड़की किसी भी बड़ी बीमारी से ग्रस्त हैं इन सभी को हाइट सुधा लेने की सलाह नहीं दी जाती हैं

हाइट सुधा सेवन विधि
पाउडर:  पाउडर को सुबह-शाम एक-एक चमच खाना खाने के बाद  एक ग्लास दूध के साथ, दूध नहीं रहने की स्थिति में गुन-गुने पानी के साथ ले सकते है |
टेबलेट्स: एक टेबलेट्स रोज दोपहर खाने के बाद दाल, दही या दूध या पानी के साथ |

हाइट सुधा मंगवाने का तरीका
हाइट सुधा मंगवना बहुत ही असान है, आप हमारे कस्टम केयर नंबर पर कॉल या व्हाट्सप्प करके या बुक नाउ लिंक पर क्लिक करके आर्डर करें |

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